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शिवोहम

 



आमुख :-

ऐसा दावा करना उचित न होना कि मैंने अध्यात्म जगत को समझ लिया और ज्ञानप्राप्ति उपरांत प्रसाद वितरण स्वरुप “शिवोहम्‌'' पाठकों के समक्ष पेश कर रहा हूँ। '“शिवोहम्'' कविता – संग्रह ऐसा दावा पेश नहीं करता | इतना अवश्य कहूँगा मेरा इस दिशा में विनम्र प्रयास का ही शिवोहम् कविता संग्रह एक नतीजा है। “अध्यात्म!” अपने आपमें गहन विषय है और उस संबंध में आज तक शायद ही कोई अंतिम निर्णय पर पहुँचा हो । हाँ, भाव जगत में मेरी अनुभूति, संवेग, विचारों के ऊहापोह से जो कुछ निकला और मैं जितना सँजो पाया हूँ उसी को परोस रहा हूँ । यहाँ समाधान और इसके पथिकों के लिए कोई “'रोडमैप '' भी नहीं है। प्रश्नों की भरमार है और हर कविता में इसके दर्शन सुधिपाठकों को मिलते रहेंगे। इन कविताओं के पठन-पाठन हेतु समय और मनोयोग आप अगर दे पायें तो रस अवश्य मिलेगा। आपको मेरी कविताएँ निराश नहीं करेगी । ऐसी मेरी उम्मीद है पर निर्णय आप पर छोड़ रहा हूँ। अपनी बातों में मैं आपको क्यों उलझाऊँ ? आप स्वयं आजमायें ।
आपकी प्रतिक्रिया से मुझे प्रेरणा मिलेगी । इसे पाथेय बना कोई ऐसी ही साहित्य की विद्या को लेकर पुनः हाजिर हो पाऊँगा।
                                                                            गंगेश्वर सिंह


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बेबात की बात

    "दिल आ गया" जब कोई दिल से ऐसा कहता है तो यही समझना चाहिए कि बोलने वाला बंदा किसी के प्रेम में पड़ गया।पर सतही तौर पर विचार करने से ऐसा लगता है जैसे उसका दिल तब तक उसके पास था ही नहीं।असल में तभी उसका दिल उसे छोड़कर चला जाता है। अब बरसात में आँख की बीमारी कंजंक्टिवाइटिस या जय बंगला जब किसी को होती है तो वह भी कहता है "आँख आयी है"। यद्यपि तब तो आँख की रोशनी चली गयी होती है।

शिब एबं शिब

                                                                 आमुख "शिव और शिव" में लेखक नें शिव-तत्व को अपने नजरिये से देखने और परखने की विनप्न कोशिश की है। उसकी इसी कोशिश का प्रतिफलन है शिव से जुड़े कुछ विचार । इस पुस्तक में प्रतिविंधित सारे लेख मौलिक है, शिव चरित्र को नये आलोक में दर्शाते हैं और सुधी-पाठक को मंत्रमुग्ध करने में सक्षम से दिखते है। लेखक का यह सराहनीय प्रयास फाठकों के मन को अवश्य भायेगा। साधारण से शब्द व्यूह का आश्रय लेकर शिवतत्व के रहस्य को उनागर करने का लेखक के इस महती प्रयास को साधुवाद । गंगेश्वर सिंह Email- singhgangeswar2017@gmail.com

जोस खरोश

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