आमुख :-
ऐसा दावा करना उचित न होना कि मैंने अध्यात्म जगत को समझ लिया और ज्ञानप्राप्ति उपरांत प्रसाद वितरण स्वरुप “शिवोहम्'' पाठकों के समक्ष पेश कर रहा हूँ। '“शिवोहम्'' कविता – संग्रह ऐसा दावा पेश नहीं करता | इतना अवश्य कहूँगा मेरा इस दिशा में विनम्र प्रयास का ही शिवोहम् कविता संग्रह एक नतीजा है। “अध्यात्म!” अपने आपमें गहन विषय है और उस संबंध में आज तक शायद ही कोई अंतिम निर्णय पर पहुँचा हो । हाँ, भाव जगत में मेरी अनुभूति, संवेग, विचारों के ऊहापोह से जो कुछ निकला और मैं जितना सँजो पाया हूँ उसी को परोस रहा हूँ । यहाँ समाधान और इसके पथिकों के लिए कोई “'रोडमैप '' भी नहीं है। प्रश्नों की भरमार है और हर कविता में इसके दर्शन सुधिपाठकों को मिलते रहेंगे। इन कविताओं के पठन-पाठन हेतु समय और मनोयोग आप अगर दे पायें तो रस अवश्य मिलेगा। आपको मेरी कविताएँ निराश नहीं करेगी । ऐसी मेरी उम्मीद है पर निर्णय आप पर छोड़ रहा हूँ। अपनी बातों में मैं आपको क्यों उलझाऊँ ? आप स्वयं आजमायें ।
आपकी प्रतिक्रिया से मुझे प्रेरणा मिलेगी । इसे पाथेय बना कोई ऐसी ही साहित्य की विद्या को लेकर पुनः हाजिर हो पाऊँगा।
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