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अन्तर्दृष्टि

ग्रामीण माहौल में ही तो मैं ने होश सँभाला था 


 

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बेबात की बात

    "दिल आ गया" जब कोई दिल से ऐसा कहता है तो यही समझना चाहिए कि बोलने वाला बंदा किसी के प्रेम में पड़ गया।पर सतही तौर पर विचार करने से ऐसा लगता है जैसे उसका दिल तब तक उसके पास था ही नहीं।असल में तभी उसका दिल उसे छोड़कर चला जाता है। अब बरसात में आँख की बीमारी कंजंक्टिवाइटिस या जय बंगला जब किसी को होती है तो वह भी कहता है "आँख आयी है"। यद्यपि तब तो आँख की रोशनी चली गयी होती है।

अहसास

हॅसना रोना जानता हूँ  पाकर खोना जानता हूँ  

शिब एबं शिब

                                                                 आमुख "शिव और शिव" में लेखक नें शिव-तत्व को अपने नजरिये से देखने और परखने की विनप्न कोशिश की है। उसकी इसी कोशिश का प्रतिफलन है शिव से जुड़े कुछ विचार । इस पुस्तक में प्रतिविंधित सारे लेख मौलिक है, शिव चरित्र को नये आलोक में दर्शाते हैं और सुधी-पाठक को मंत्रमुग्ध करने में सक्षम से दिखते है। लेखक का यह सराहनीय प्रयास फाठकों के मन को अवश्य भायेगा। साधारण से शब्द व्यूह का आश्रय लेकर शिवतत्व के रहस्य को उनागर करने का लेखक के इस महती प्रयास को साधुवाद । गंगेश्वर सिंह Email- singhgangeswar2017@gmail.com